हमारे व्यक्तित्व के दोष ही हमारे तनाव का कारण – डॉ. नंदिनी सामंत
वैन (दिल्ली ब्यूरो) :: ‘स्थायी आनंद और शांति पैसों से नहीं खरीदी जा सकती, तो वह किसी आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत व्यक्ति के मार्गदर्शन में नियमित रूप से स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया कार्यान्वित करना, सात्त्विक जीवनशैली स्वीकारना और स्वयं साधना करना, इन त्रिसूत्री द्वारा ही मिल सकती है । उसके लिए स्वयं की उन्नति की दृष्टि सेे आजीवन समर्पित होकर प्रयत्न करना आवश्यक है । यदि कोई वैश्विक तत्त्वों के अनुसार प्रामाणिकता से साधना करे, तो योग्य समय पर हम अपने मन से परे जा सकते हैं अथवा हममें से प्रत्येक में विद्यमान ईश्वरीय तत्त्व का अनुभव ले सकते हैं । इसी को परमानंद अथवा आनंद का सर्वोच्च बिंदु कहते हैं, जो किसी पर भी निर्भर नहीं होता’, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की डॉ. नंदिनी सामंत ने किया । वे ‘दक्षिण एशियाई वैद्यकीय विद्यार्थी संगठन’ (SAMSA) द्वारा आयोजित ‘तनावयुक्त संसार में मनःशांति की खोज’ इस विषय के ‘वेबिनार’ में बोल रही थीं । इसमें डॉ. नंदिनी सामंत ने परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा किया हुआ शोध भी प्रस्तुत किया । इस ‘वेबिनार’ का संयोजन ‘दक्षिण एशियाई वैद्यकीय विद्यार्थी संगठन’ की खजांची और ‘मेंटॉर’ डॉ. श्रिया साहा ने देखा।
परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले संसार में विख्यात चिकित्सकीय संमोहन विशेषज्ञ हैं । उन्हें 23 वर्ष एक ‘डॉक्टर’ के रूप में चिकित्सा व्यवसाय, भारत और इंग्लैंड में 51 वर्ष मानसशास्त्र के शोध और 39 वर्ष आध्यात्मिक शोध का अनुभव है । डॉ. नंदिनी सामंत ने प्रारंभ में ‘तनाव क्यों होता है ?’, इस विषय में विवेचन किया । उसके पश्चात उन्होंने स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया और व्यक्तित्व के दोष दूर कर उनका गुणों में रूपांतरण करने के लिए यह प्रक्रिया कैसे कार्यान्वित करनी चाहिए, इस संबंध में बताया । अध्यात्म और सात्त्विक जीवनशैली के कारण तनाव कैसे दूर होता है, इस संबंध में भी उन्होंने अवगत करवाया। उन्होंने कुछ ‘केस स्टडी’ के माध्यम से ‘जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए स्वभावदोष निर्मूलन कैसे करना चाहिए’, इस विषय में उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन किया।
इस ‘वेबिनार’ में 14 देश और भारत के 24 राज्यों में से कुल 1,168 लोगों ने पंजीयन किया था । ‘जूम’ और ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया । ‘यू-ट्यूब’ द्वारा अभी तक 11 हजार से अधिक लोगों ने यह ‘वेबिनार’ देखा है । इस वेबिनार में उपस्थित लोगों ने स्वयंस्फूर्त प्रतिक्रियाएं व्यक्त की । उपस्थित लोगों में से 68.4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया, साधना और सात्त्विक जीवनशैली ये तीनों विषय अच्छे लगे तथा 95.6 प्रतिशत लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ‘आनंदी जीवन की प्राप्ति के दृष्टिकोण से यह ‘वेबिनार’ हमें सहायक सिद्ध होगा । ’91.2 प्रतिशत लोगों ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा ‘स्वभावदोष निर्मूलन’ के विषय में ली जानेवाली आगामी कार्यशालाआें में उपस्थित रहने और यह प्रक्रिया स्वीकारने की इच्छा दर्शाई।
Source :: vannewsagency