बांग्लादेश की संसद में पहुंचने वाले हिंदू सांसद

बांग्लादेश

बीरेन सिकदर, जया सेनगुप्ता और रमेश चंद्र सेन (बाएं से दाएं)

बांग्लादेश के नवनिर्वाचित सांसदों ने गुरुवार को देश की 11वीं संसद के लिए शपथ ली.

30 दिसंबर, 2018 को बांग्लादेश में चुनाव हुए थे जिसमें प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को जबर्दस्त जीत हासिल हुई है.

तीन सौ सीटों वाली जातीय संसद (बांग्लादेश की संसद) में सत्तारूढ़ आवामी लीग ने 288 सीटों पर जीत हासिल की है. वैसे बांग्लादेश की संसद में कुल 350 सीटें हैं, जिनमें से 50 महिलाओं और आनुपातिक आधार पर सुरक्षित सीटें हैं, जिन्हें आम चुनाव के ज़रिए नहीं चुना जाता है.

आवामी लीग ने देश के अल्पसंख्यक समुदाय के 18 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा था. अल्पसंख्यक उम्मीदवारों में ज़्यादातर हिंदू हैं.

सभी अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने अपनी सीटें जीत ली हैं. पिछली बार की तरह 11वीं संसद में भी 18 अल्पसंख्यक समुदाय के सांसद हैं.

पिछली सरकार में बीरेन सिकदर खेल और युवा मामलों के मंत्री थे.

बांग्लादेश की राजशाही यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल करने वाले सिकदर पेशे से वकील रहे हैं.

जातीय संसद के सदस्य की हैसियत से सिकदर कई अहम संसदीय समितियों के सदस्य रह चुके हैं.

इसके अलावा, टेक्सटाइल और जूट मिनिस्ट्री की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी के वे अध्यक्ष रह चुके हैं.

रमेश चंद्र सेन

10वीं जातीय संसद के सदस्य रहे रमेश चंद्र सेन बांग्लादेश के जल संसाधन और खाद्य मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं.

शेख हसीना की पार्टी में उनकी अहमियत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे आवामी लीग की सेंट्रल कमिटी के सदस्य भी हैं.

जया सेनगुप्ता

जया सेनगुप्ता बांग्लादेश की संसद में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच से इकलौती महिला सांसद हैं.

वे आवामी लीग के मरहूम सीनियर लीडर सुरनजीत सेनगुप्ता की पत्नी हैं.

जया सेनगुप्ता पति की मौत से खाली हुई सुनामगंज सीट से पहली बार बांग्लादेश की संसद के लिए मार्च, 2017 में चुनी गई थीं.

राजनीति में कदम रखने से पहले जया एक ग़ैर सरकारी संगठन के लिए काम करती थीं.

नारायण चंद्र चंद और बीर बहादुर उश्वे सिंह

नारायण चंद्र चंद पिछली हसीना सरकार में मत्स्य पालन मंत्री थे. जातीय संसद में ये उनकी चौथी पारी होगी.

बीर बहादुर उश्वे सिंह चटगांव हिल मामलों के मंत्री रह चुके हैं. वे छह बार सांसद रह चुके हैं. वे संसद की आवास मामलों की समिति के सदस्य भी रह चुके हैं.


Source: BBC

 

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